1
अमन की ख़ुश्बुएँ फैलें हवाओं में, दिशाओं में
न घोले ज़हर नफ़रत का कोई अपनी हवाओं में
हमारी दोस्ती का, प्रेम का धागा नहीं टूटे
यही है प्रार्थना में, और यही सबकी दुआओं में
न घोले ज़हर नफ़रत का कोई अपनी हवाओं में
हमारी दोस्ती का, प्रेम का धागा नहीं टूटे
यही है प्रार्थना में, और यही सबकी दुआओं में
2
हम दोस्ती की बन के गंगो जमन बहेंगे
जो कहते आए हैं सदा बस वो ही कहेंगे
कोशिश करे न हमको बाँटने की कोई भी
हम एक थे, हम एक हैं, हम एक रहेंगे
जो कहते आए हैं सदा बस वो ही कहेंगे
कोशिश करे न हमको बाँटने की कोई भी
हम एक थे, हम एक हैं, हम एक रहेंगे
3
लिया हिन्दू से 'ह' और 'म' लिया हमने मुसलमाँ से
किया है प्यार 'हम' सब ने यूँ अपने इस गुलिस्ताँ से
मुहब्बत, भाईचारा, दोस्ती, अख़लाक, अपनापन
सबक गीता से सीखा इनका और सीखा है क़ुरआं से
किया है प्यार 'हम' सब ने यूँ अपने इस गुलिस्ताँ से
मुहब्बत, भाईचारा, दोस्ती, अख़लाक, अपनापन
सबक गीता से सीखा इनका और सीखा है क़ुरआं से
4
अमन का, प्रेम का, पैगाम घर घर तक है पहुँचाना
यहाँ सब भाई-भाई हैं सभी को है ये समझाना
भले हिन्दू, मुसलमाँ, सिक्ख, ईसाई कहाएँ हम
मगर हिन्दोस्तानी हैं ये दुनिया को है बतलाना
यहाँ सब भाई-भाई हैं सभी को है ये समझाना
भले हिन्दू, मुसलमाँ, सिक्ख, ईसाई कहाएँ हम
मगर हिन्दोस्तानी हैं ये दुनिया को है बतलाना
5
मुसलमाँ हो के हिन्दू हो सभी बेटे हैं भारत के
नयन हैं दो ये भारत माँ की प्यारी प्यारी सूरत के
अमन का, प्रेम का गुलशन है अपना प्यारा हिन्दुस्ताँ
यहाँ काँटे न बोने देंगे अब हम द्वेष, नफ़रत के
नयन हैं दो ये भारत माँ की प्यारी प्यारी सूरत के
अमन का, प्रेम का गुलशन है अपना प्यारा हिन्दुस्ताँ
यहाँ काँटे न बोने देंगे अब हम द्वेष, नफ़रत के