Wednesday, January 20, 2010

टाटा बिड़ला डालमिया तो गोद में लेटे हैं, क्या हम भारत माता के सौतेले बेटे हैं बत्‍तीस साल से चल रहा एक अनोखा कार्यक्रम सुकवि पंडित जनार्दन शर्मा स्मृति काव्याँजलि समारोह

टाटा बिड़ला डालमिया तो गोद में लेटे हैं, क्या हम भारत माता के सौतेले बेटे हैं
बत्‍तीस साल से चल रहा एक अनोखे कार्यक्रम सुकवि पंडित जनार्दन शर्मा स्मृति काव्याँजलि समारोह
सीहोर () ये बहुत ही हैरत की बात है कि कोई कार्यक्रम किस प्रकार से बत्तीस वर्षों से लगातार आयोजित होता आ रहा है । इसके लिये वास्तव में वे सभी लोग धन्यवाद के पात्र हैं जो इस कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं । आज के दौर में ये किसी को भी अविश्वसनीय बात लगेगी कि इस प्रकार से एक कार्यक्रम लगातार होता चला आ रहा है, और वो भी ऐसे कवि की याद में जो इस शहर में अकेला था जिसका कोई परिजन नहीं था ।

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मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी की सचिव श्रीमती नुसरत मेहदी ने पंडित जनार्दन शर्मा स्मृति काव्याँतलि समारोह में उक्त आशय के उद्गार व्यक्त किये । कार्यक्रम में देश के वरिष्ठ शायर श्री राम मेश्राम, श्री अनवारे इस्लाम तथा श्री वीरेन्द्र जैन  अतिथि के रूप में उपस्थित थे । कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर डॉ. कैलाश गुरू स्वामी ने की ।
स्थानीय ब्ल्यू बर्ड स्कूल के सभागार में आयोजित पंडित जनार्दन शर्मा स्मृति काव्याँजलि समारोह का शुभारंभ अतिथियों ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण, तथा दीप प्रज्‍जवलित कर किया । अतिथियों ने पंडित जनार्दन शर्मा के चित्र पर अपनी पुष्पाँजलि भी समर्पित की । गायिका शिरोनी पालीवाल ने माँ सरस्वती की वंदना तथा राष्ट्र की वंदना गाकर काव्याँजलि को प्रारंभ किया । सर्वश्री रामनारायण ताम्रकार, वसंत दासवानी, डॉ. पुष्पा दुबे, जनसंपर्क अधिकारी श्री एल आर सिसौदिया, श्री ओमदीप, श्री जयंत शाह ने पुष्पहार से सभी अतिथियों का स्वागत किया । इस अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. प्रेम गुप्ता को उनकी सेवाओं के लिये सम्मनित किया गया । श्री शैलेश तिवारी ने पंडित जनार्दन शर्मा के व्यक्तिव तथा कृतित्व पर प्रकाश डालने के साथ साथ पंडित जनार्दन शर्मा काव्याँजलि समारोह पर भी विस्तार से प्रकाश डाला । जिले के वरिष्ठ पत्रकार श्री अम्बादत्त भारतीय की इस समारोह में भूमिका की भी उन्होंने चर्चा की, जो परिजन का निधन हो जाने के कारण इस बार कार्यक्रम में अनुपस्थित थे ।
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काव्याँजलि समारोह का शुभारंभ युवा शायर डॉ. मोहम्मद आजम ने जनार्दन शर्मा को श्रध्दाँजलि देते हुए कुछ इस अंदाज़ में की तुझको जनार्दन न कभी हम भुलाएंगे, गाएंगे तेरे गीत ग़ज़ल गुनगुनाएँगे । उन्होंने अपनी कई ग़ज़लों का पाठ किया ।

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सीहोर के वरिष्ठ शायर श्री रियाज़ मोहम्मद रियाज़ ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए अपनी ग़ज़लें तरीका अब ये अपनाना पड़ेगा, दबे शोलों को भड़काना पड़ेगा और देश का हम क्या हाल सुनाएँ, अंधे पीसें कुत्ते खाएँ, सुनाकर समां बांध दिया ।

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वरिष्ठ शायर तथा साहित्यिक पत्रिकार सुंखनवर के संपादक श्री अनवारे इस्लाम कई ग़ज़लें पढ़ीं, तन पर लिबास मुँह में निवाला नहीं रहा, लेकिन मेरा ज़मीर तो काला नहीं रहा, जो थोड़ी देर गाना चाहता है वो अपना दुख सुनाना चाहता है, इन ग़ज़लों को श्रोताओं ने खूब पसंद किया । 

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कार्यक्रम का संचालन कर रहे युवा साहित्यकार पंकज सुबीर ने ग़ज़ल अजब जादू है अपने मुल्क के थानों में यारों, यहां गूंगा भी आ जाए तो वो भी बोलता है और अपना गीत दर्द बेचता हूं मैं का सस्वर पाठ किया ।

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वरिष्ठ कवि श्री वीरेंद्र जैन ने गई सारे गीत प्रस्तुत किये, टाटा बिड़ला अंबानी तो गोद में लेटे हैं, क्या हम भारत माता के सौतेले बेटे हैं, ये उत्सव के फूल शीघ्र ही मुरझा जाएँगे और खूब अच्छी फसल हुई गीतों पर श्रोता देर तक दाद देते रहे तथा फिर फिर सुनते रहे ।

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मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी की सचिव श्रीमती नुसरत मेहदी ने कहा कि किसी के लिये भी ये बात हैरानी में डालने वाली हो सकती है कि कोई कार्यक्रम लगातार इतने वर्षों से होता आ रहा है । श्रोताओं के अनुरोध पर उन्होंने तरन्नुम में कई गीत तथा ग़ज़ल सुनाए उनकी ग़ज़ल कतरा के जिंदगी से गुज़र जाऊँ क्या करूँ, रुसवाइयों के खौंफ से मर जाऊँ क्या करूँ और तरन्नुम में गाये गये गीत जिंदगी हमको ढूँढ़ेगी तेरी नजर जब तेरे गाँव से हम चले जाएँगे ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया ।

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देश के वरिष्ठ शायर श्री राम मेश्राम ने अपने विशिष्ट शैली में कई गीत और ग़ज़लें प्रस्तुत किये । मुगालते ही मुगालते हैं, ये हंस हम मन में पालते हैं, हमीं ने फैंके गटर में हीरे, हमीं ये दुनिया खंगालते हैं,  तुम्हारे चम्पू जनम जनम से, हमें भी गुरुवर महान करना  गीतों को खूब पसंद किया गया । 

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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ शायर डॉ. कैलाश गुरू स्वामी ने जो वफा खुद बेवफा हो उस वफा का क्या करूँ, तुझको भी भुलाया था खुदको भी भुलाया था, यूँ भी तेरी याद आई, यूँ भी तेरी याद आई सहित कई सारी ग़ज़लें पढ़ीं । एक चोट इधर खाई एक चोट इधर खाई जैसे अशआरों पर श्रोता झूमते रहे । कार्यक्रम के अंत में शिक्षाविद् प्रो. बी. सी. जैन, जिला शिक्षा अधिकारी धर्मेंद्र शर्मा,  श्री जयंत शाह,  श्री नरेश मेवाड़ा,  तथा श्री  शैलेष तिवारी ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किये ।

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अंत में आभार वरिष्ठ पत्रकार श्री वसंत दासवानी के व्यक्त किया । देर रात तक चले कार्यक्रम का संचालन वसंत दासवनी तथा मुशायरे का संचालन पंकज सुबीर ने किया ।

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