Sunday, January 20, 2008

अद्भुत और अनोखा है काव्यांजली कार्यक्रम - डॉ.मिश्र

अद्भुत और अनोखा है काव्यांजली कार्यक्रम - डॉ.मिश्र
सीहोर : 20 जनवरी, 08
    तीस बरस तक लगातार शहरवासी कार्यक्रम आयोजित करें नि:संदेह ऐसा आयोजन अद्भुत और अनोखा है। यह विचार माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अच्युतानंद मिश्र ने स्थानीय ब्ल्यू बर्ड स्कूल के सभागार में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए व्यक्त किए। समारोह में पुलिस महानिरीक्षक पवन जैन को शाल, श्रीफल, सम्मान निधि तथा सम्मान पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया।  । गरिमा और सादगीपूर्ण आयोजित इस समारोह में विख्यात समालोचक डॉ.विजय बहादुर सिंह, माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान भोपाल की निदेशक डॉ. मंगला अनुजा, स्थानीय विधायक रमेश सक्सेना, पूर्व विधायक एवं आंचलिक पत्रकार संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकरलाल साबू विशेष अतिथि के रूप में मौजूद थे। काव्याजंली समारोह को संबोधित करते हुए हिन्दी पत्रकारिता के पुरोधा डॉ. अच्युतानंद मिश्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि ऐसे वक्त में जब साहित्यिक कार्यक्रम और कवि सम्मेलन मनोरंजन से ढंकते जा रहे हैं उस दौर में यह कार्यक्रम एक रोशनी की तरह है जो पूरे देश को आलौकित करेगी। डॉ. मिश्र ने पांच सी (कॉमेडी, क्राइम, सेलेब्रिटीज, क्रिकेट और सिनेमा) तथा दो एस (सेनसेशन एन्ड सेक्स) का उदाहरण देते हुए कहा कि वर्तमान दौर में साहित्य, कविता और विमर्श के लिए स्थान नहीं बचा है। । ऐसा प्रयास और इस प्रयास से जुड़े सभी लोग साधुवाद के पात्र हैं।समारोह में सुप्रसिध्द कवि और समालोचक डॉ. विजय बहादुर सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सीहोर जिन कारणों से जाना जाता है उनमें काव्याजंली एवं पुरस्कार समारोह भी शामिल है। उन्होंने स्मृतियों को इन पंक्तियों में व्यक्त करते हुए कहा कि 'कुछ तो होते हैं मोहब्बत जुनुं के आसार और कुछ लोग यूं ही दीवाना बना देते हैं'। डॉ. सिंह ने कहा कि प्यार की कोई सीमा नहीं है। उन्होंने कहा कि एक शायर ने पूछा कि ''हमें इतना बता दो कि इश्क की मंजिल कहां है'' जबाब आया- 'मोहब्बत का फैला अफसाना जमीं से आसमां तक है।' डॉ. सिंह ने कहा कि जो कविता कविता होने का दावा करती है उसे जिन्दगी से सामना भी करना पड़ता है। कविता के छन्द को उपमा, रूपक, छन्द से नहीं समझा जा सकता है। उन्होंने अमर कवि दुष्यंत का शेर 'मेरी जबान से निकली तो  नज्म बनी, हाथ में आई तो मशाल बनी' सुनाते हुए कहा कि यदि आज कोई सच बोल रहा है तो वह है शायर। उन्होने पवन जैन की रचनाओं की सराहना की और उन्हें  सम्मानित किए जाने पर आयोजकों को बधाई दी। कार्यक्रम में डॉ. मंगला अनुजा ने कहा कि ऐसे समय में जब व्यक्ति अपनों को भूल जाता है उस दौर में ऐसे व्यक्ति को आदर के साथ बरसों बरस याद रखना और उनकी स्मृति में कार्यक्रम का आयोजन करना इस शहर के लोगों और कलमकारों की स्नेहिल भावना को व्यक्त करता है। क्षेत्रीय विधायक रमेश सक्सेना ने 29 वर्षों से लगातार आयोजित किये जाते रहे इस पुण्य स्मरण कार्यक्रम की निरन्तरता को सीहोर नगर की विशिष्ट उपलब्धि बताया। आपने कहा कि 30 वर्ष का समय बहुत लम्बा और बड़ा फासला है। इस दौरान बहुत सी स्थितियां और परिस्थितियां बदलती गई। कार्यक्रम में सम्मानित किए गए कवि पवन जैन ने अपनी सशक्त रचनाओं का पाठ किया और  श्रोताओं की जी भरकर दाद बटोरी। आयोजन की शुरूआत में सभी अतिथियों ने ज्ञान दात्री मां सरस्वती देवी की प्रतिमा और सुकवि पं. जनार्दन शर्मा के चित्र पर पुष्प मालायें अर्पित कर ज्ञान दीप प्रज्वलित किया । ब्लू वर्ड स्कूल की छात्रा कु. जया मेवाड़ा ने सस्वर सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की और कु. सोहनी पालीवाल ने देशभक्ति गीत की सुमधुर प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का सफल संचालन बसंत दासवानी ने किया

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